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गेहूं का रकबा पिछले साल से 6 फीसदी कम, चने में 14 फीसदी की बढ़ोतरी

Source : business.khaskhabar.com | Dec 30, 2017 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 wheat acreage decreased by 6 percent from last year 14 percent increase in gram 282573नई दिल्ली। रबी फसलों की बोआई का सीजन अंतिम दौर में पहुंचने के बावजूद गेहूं और तिलहनों का रकबा पिछले साल की तुलना में कम बना हुआ है। लेकिन, दलहन के रकबे में जोरदार इजाफा हुआ है।

जींस कारोबारियों का कहना है कि बीते सीजन में किसानों को गेहूं और सरसों का उचित दाम नहीं मिला जबकि चने और मसूर का बाजार भाव पूरे साल न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा रहा है। इसीलिए किसानों ने गेहूं व सरसों के बजाय चने और मसूर की खेती में दिलचस्पी दिखाई है।

केंद्रीय कृषि सहकारिता एवं कल्याण विभाग की वेबसाइट पर शुक्रवार को प्रकाशित रबी बोआई के साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक देशभर में गेहूं की बोआई 273.85 लाख हेक्टेयर भूमि में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के आंकड़े 290.74 लाख हेक्टेयर से 5.81 फीसदी कम है। देशभर में गेहूं का औसत रकबा 301.74 लाख हेक्टेयर रहता है।
 
दलहन फसलों की बोआई में मामला अलग है। इन फसलों की बोआई 150.63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के रकबे 138.34 लाख हेक्टेयर से 8.89 फीसदी ज्यादा है।

चने की बोआई अब तक 101.88 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 89.26 लाख हेक्टेयर से 14.13 फीसदी अधिक है। चने का रकबा तो राष्ट्रीय औसत 86.81 लाख हेक्टेयेर से भी काफी ज्यादा हो चुका है।

मसूर का रकबा 16.83 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है जोकि पिछले साल के 16.11 लाख हेक्टेयर से 4.49 फीसदी अधिक है।

लेकिन, तिलहनों की बोआई पिछले साल के मुकाबले इस बार सुस्त रही है। अब तक प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले तिलहनों की बोआई 6.65 फीसदी कम हुई है। सभी रबी तिलहनों का रकबा 74.27 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 79.56 लाख हेक्टेयर था।

सरसों की बोआई 63.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के आंकड़े 68.94 लाख हेक्टेयर से 7.77 फीसदी कम है।

चालू बोआई सीजन (2017-18) में देशभर में रबी फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले एक फीसदी कम है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक कुल रबी फसलों की बोआई 565.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि राष्ट्रीय औसत 623.53 लाख हेक्टेयर से काफी ज्यादा है लेकिन पिछले साल के समान अवधि के आंकड़े 571.47 लाख हेक्टेयर से 0.99 फीसदी कम है।

उज्जैन के जींस कारोबारी संदीप सारडा ने बताया कि मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में किसानों ने गेहूं के बजाय चना व अन्य फसलों में ज्यादा दिलचस्पी ली है क्योंकि पिछले साल उनको गेहूं का उचित भाव नहीं मिला।

देश के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में 42.61 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बोआई हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में गेहूं का रकबा 50.37 लाख हेक्टेयर था।

इसी प्रकार देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में भी पिछले साल के 97.58 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल अब तक 92.65 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बोआई हो पाई है।

सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल 1625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था, जिसे आगामी सीजन के लिए बढ़ाकर 1,635 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। लेकिन, उत्पादन ज्यादा होने की वजह से मध्य प्रदेश और राजस्थान में क्वालिटी गेहूं बाजार भाव अभी भी 1600-1700 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि कटाई सीजन में 1400-1550 रुपये प्रति क्विंटल था।

(आईएएनएस)

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