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चालू सीजन में गन्ने की पेराई 15 अक्टूबर के बाद

Source : business.khaskhabar.com | Oct 02, 2018 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 sugarcane crushing to start from oct 15 344101नई दिल्ली। नया चीनी उत्पादन व विपणन वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) सोमवार को आरंभ हुआ, मगर चालू सीजन में गन्ने की कटाई व पेराई शुरू होने में अभी 15 दिन का वक्त लग सकता है। हालिया बारिश के कारण पेराई शुरू होने में विलंब हुई।

 सहकारी चीनी मिलों का संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ को-कॉपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने बताया कि इस साल गन्ने की फसल ज्यादा होने की वजह से चीनी मिलें पेराई जल्द शुरू करने वाली थीं, मगर हाल ही में हुई बारिश के कारण गन्ने की कटाई व पेराई पूर्व नियोजित समय से शुरू नहीं हो पाई।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक में पेराई जल्द शुरू होती है, मगर वहां भी इस साल 15 अक्टूबर के बाद ही चीनी मिलों का ऑपरेशन शुरू होगा। महाराष्ट्र सरकार ने 20 अक्टूबर 2018 से गन्ने की पेराई आरंभ करने का निर्णय लिया है।

नाइकनवरे ने कहा कि चालू सीजन के आरंभिक दो महीने में मिलें कच्ची चीनी (रॉ शुगर) के उत्पादन पर जोर देंगी, क्योंकि कच्ची चीनी निर्यात होने की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि सफेद चीनी मिलों के गोदाम में काफी परिमाण में बची हुई है और फिलहाल खपत के लिए सफेद चीनी की किल्लत नहीं है।

चीनी उद्योग संगठन के अनुसार, पिछले साल का बकाया स्टॉक 100 लाख टन से ज्यादा है।  

निजी चीनी मिलों का संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अनुमान के अनुसार, चालू सत्र 2018-19 में 350 लाख टन से ज्यादा चीनी का उत्पादन हो सकता है।

देश में चीनी की सालाना खपत 250-255 लाख टन है। ऐसे में अगले साल चीनी का भंडार घरेलू खपत के मुकाबले बहुत ज्यादा है। उत्पादन आधिक्य को विदेशी बाजार में खपाने के मकसद से सरकार ने पिछले महीने चीनी उद्योग को उत्पादन में वित्तीय अनुदान और निर्यात के लिए ढुलाई व संचालन लागत में सहायता की घोषणा की।

प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि सरकार का हालिया कदम काफी स्वागत योग्य है और इससे मिलों को चीनी निर्यात में होने वाले घाटे को पाटने में मदद मिलेगी।

केंद्र सरकार ने चालू सत्र 2018-19 के लिए गन्ने के लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 13.88 रुपये क्विंटल की दर से मिलों को राहत प्रदान करने का फैसला किया है। यह राशि सीधे किसानों के खाते में जमा की जाएगी।

इसके अलावा, निर्यात के लिए चीनी की ढुलाई व अन्य संबंधित खर्च पर 1,000 रुपये से लेकर 3,000 रुपये प्रति टन की दर से वित्तीय मदद की घोषणा की है।

सरकार की ओर से चीनी मिलों को दी जाने वाली इस वित्तीय मदद का एक ही मकसद है कि देश से चीनी का निर्यात सुनिश्चित हो ताकि गन्ना उत्पादकों के बकाये का भुगतान समय से हो।

(आईएएनएस)

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