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पिछले साल के मुकाबले चीनी उत्पादन में 79 फीसदी का इजाफा

Source : business.khaskhabar.com | Nov 21, 2017 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 sugar output so far this season at 14 lakh tonnes up 79 percent isma 273451नई दिल्ली। चालू गन्ना पेराई सत्र 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) के शुरुआती डेढ़ महीने के दौरान देशभर की चीनी मिलों ने 13.73 लाख टन चीनी का उत्पादन कर लिया है, जोकि पिछले साल की समान अवधि यानी 15 नवंबर 2016 तक के 7.67 लाख टन से 79 फीसदी ज्यादा है।
 
पिछले पेराई सत्र 2017-18 में 15 नवंबर तक 222 चीनी मिलों में पेराई चल रही थी, जबकि इस साल देशभर में 313 चीनी मिलें उत्पादन कार्य में जुटी हैं। यह जानकारी चीनी मिलों के संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने सोमवार को जारी अपनी एक विज्ञप्ति में दी।

देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य (पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक) उत्तर प्रदेश में अब तक 78 चीनी मिलों ने 5.67 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 55 मिलों ने 1.93 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र की 137 चीनी मिलों ने 15 नवंबर 2017 तक 3.26 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 95 चीनी मिलें कार्यरत थीं और उत्पादन का आंकड़ा महज 1.92 लाख टन था।

इस्मा के अनुसार तीसरे सबड़े चीनी उत्पादक राज्य कर्नाटक में पिछले साल के समान ही उत्पादन का आंकड़ा है और अन्य राज्यों में भी पिछले साल के मुकाबले इस साल चीनी उत्पादन में कोई खास अंतर नहीं पाया गया है।

इस्मा के मुताबिक इस साल मार्च-सितंबर 2017 के दौरान चीनी की कीमतों (एक्स-मिल रेट) में कोई खास परिर्वतन नहीं रहा है। मिलों ने औसत 3600 रुपये प्रतिक्विंटल की दर से चीनी बेची, लेकिन उसके बाद मिल दरों में 100-200 रुपये प्रतिक्ंिवटल की गिरावट आई, जोकि रियायती दरों पर पिछले साल की बची हुई चीनी की बिकवाली के कारण दर्ज की गई।

सरकार ने कारोबारियों के लिए चीनी के भंडारण की समयावधि यानी खरीद के बाद बेचने तक की समय सीमा 31 दिसंबर तक के लिए दो महीने कर दी है।
 
इस साल त्योहारी सीजन में सितंबर-अक्टूबर महीने में चीनी मिलों ने 41 लाख चीनी बेची जोकि पिछले साल की समान अवधि में 42 लाख टन था।

इस्मा ने सरकार ने चीनी कारोबारियों पर जारी स्टॉक लिमिट को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की है। चीनी मिलों के संगठन का कहना है कि स्टॉक लिमिट जारी रहने से चीनी की उपलब्धता ज्यादा रहेगी जबकि बिकवाली कम। ऐसे में नकदी की समस्या पैदा होगी और उससे चीनी उत्पादक प्रभावित होंगे, इसके परिणामस्वरूप किसानों को गन्ने का दाम अदा करने की उनकी क्षमता पर असर पड़ेगा।
(आईएएनएस)

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