businesskhaskhabar.com

Business News

Home >> Business

रबी फसलों का रकबा 1 फीसदी बढ़ा

Source : business.khaskhabar.com | Dec 16, 2017 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 rabi crops acreage increased by 1 percent 279131नई दिल्ली। चालू बोआई सीजन (2017-18) में देशभर में रबी फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले एक फीसदी बढ़ गया है। लेकिन प्रमुख रबी फसल गेहूं का रकबा अभी भी पिछले साल के मुकाबले दो फीसदी पिछड़ रहा है।

देश के ज्यादातर हिस्सों में किसान गेहूं की बोआई 15 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच ज्यादा करते हैं। दलहनों के रकबे में बढ़ोतरी दर्ज की गई है जबकि तिलहन का बोआई क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले घटा है।

केंद्रीय कृषि सहकारिता एवं कल्याण विभाग की वेबसाइट पर शुक्रवार को प्रकाशित रबी बोआई के साप्ताहिक अपडेट के मुताबिक रबी फसलों का कुल रकबा 514.22 लाख हेक्टेयर हो गया है जबकि पिछले साल समान अवधि में यह रकबा 509.12 लाख हेक्टेयर था। देश में रबी फसलों का औसत रकबा 623.52 लाख हेक्टेयर रहता है।

देशभर में गेहूं की बोआई 245.50 लाख हेक्टेयर भूमि में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के आंकड़े 250.48 लाख हेक्टेयर से 1.99 फीसदी कम है। देश्भर में गेहूं का औसत रकबा 301.74 लाख हेक्टेयर रहता है।
 
वहीं दलहन फसलों की बोआई 138.19 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के रकबे 127.02 लाख हेक्टेयर से 8.8 फीसदी ज्यादा है।

चने की बोआई अब तक  96.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल का रकबा 84.65 लाख हेक्टेयर से 13.68 फीसदी ज्यादा है। चने का  रकबबा राष्ट्रीय औसत 86.81 लाख हेक्टेयेर से भी काफी ज्यादा हो चुका है।

मसूर रकबा 15.53 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है जोकि पिछले साल के 15.26 लाख हेक्टेयर से 1.80 फीसदी अधिक है।

तिलहनों की बोआई पिछले साल के मुकाबले सुस्त रही है। अब तक प्राप्त आंकड़ों में पिछले साल के मुकाबले 5.01 फीसदी तिलहनों की बोआई पिछड़ी है। सभी रबी तिलहनों का रकबा 70.73 लाख हेक्टेयर है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 74.46 लाख हेक्टेयर था।

सरसों की बोआई 60.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के आंकड़े 65.52 लाख हेक्टेयर से 6.92 फीसदी कम है।   (आईएएनएस)

[@ प्‍यार में सफलता पाने के लिए करें ये खास उपाय ]


[@ इन क्रैश कोर्सेज से बनाएं शानदार करियर]


[@ इस मंदिर में मूर्तियां बोलती हैं, वैज्ञानिक भी हैं हैरान]