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सरसों का उत्पादन ज्यादा होने से कीमतों पर दबाव

Source : business.khaskhabar.com | Mar 20, 2018 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 pressure on prices due to excess of mustard production 301658नई दिल्ली। उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी से सोमवार को हाजिर और वायदा बाजारों में सरसों की कीमतों पर दबाव दिखा। तेल-तिलहनकारोबारी आगे भी कीमतों में सुस्ती बने रहने की संभावना जता रहे हैं।

देश में इस साल सरसों का रकबा पिछडऩे के बावजूद उद्योग संगठनों का अनुमान है कि उत्पादन ज्यादा हो सकता है। खाद्य तेल उद्योग व व्यापार से जुड़ा संगठन सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (कूइट) के मुताबिक, देशभर में इस साल 72 लाख टन सरसों, तोरिया और तारामीरा का उत्पादन हो सकता है, जो संगठन के पिछले साल के उत्पादन अनुमान 62 लाख टन से 10 लाख ज्यादा है।
 
कुइट के प्रेसिडेंट लक्ष्मीचंद अग्रवाल ने बताया कि सरसों का रकबा भले ही कम हो लेकिन देशभर में फसल बहुत अच्छी है जिससे पैदावार बढऩे की पूरी उम्मीद है।

उनकी बातों को सही ठहराते हुए मध्य प्रदेश के भिंड के सरसों कारोबारी शैलेंद्र ने बताया कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पैदावार पिछले साल से डेढ़ गुना है।
 
उधर, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीईए) के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर बी.वी मेहता ने भी कहा कि फसल अच्छी होने की रिपोर्ट मिल रही है और सीईए की अगली रिपोर्ट में उत्पादन अनुमान में संशोधन किया जा सकता है। सीईए ने पिछले महीने अपने अग्रिम उत्पादन अनुमान में देशे में 63 लाख टन सरसों के उत्पादन का आकलन किया था।

बी.वी मेहता के मुताबिक, भारत 70 फीसदी तेल का आयात करता है जबकि 30 फीसदी घरेलू मांग की पूर्ति देसी मिलों के द्वारा होती है। उन्होंने कहा कि सरकार को अगर किसानों को उनकी फसल का लाभकारी मूल्य दिलाना है तो आयात पर अंकुश लगाना होगा।

कुइट के अनुसार, राजस्थान में इस साल 25.50 लाख टन सरसों का उत्पादन होने का अनुमान है जिसमें तारामीरा और तोरिया भी शामिल है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12.50 लाख टन सरसों का उत्पादन हो सकता है। पंजाब और हरियाणा में 7.75 लाख टन सरसों का उत्पादन है। गुजरात में 3.50 लाख टन, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 8.25 लाख टन, पश्चिम बंगाल में 4.75 लाख टन और अन्य राज्यों में 8.25 लाख टन।

कुईट के मुताबिक, देशभर में सरसों का कुल उत्पादन 70.50 लाख टन है जबकि तोरिया 0.50 लाख टन और तारामीरा एक लाख टन है।
 
गौरतबल है कि इस देश में सरसों का रकबा पिछले साल के मुकाबले 5.27 फीसदी कम है और केंद्र सरकार की ओर से फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) के  दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक, देश में सरसों का उत्पादन 75.40 लाख टन है जो पिछले साल के 70.17 लाख टन से कम है।

सोमवार को भारतीय समयानुसार 11.14 बजे सरसों का अप्रैल वायदा नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) पर पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले 61 रुपये की गिरावट के साथ 4,090 रुपये प्रति क्विंटल था और अन्य वायदों में भी कमजोरी बनी हुई थी।

मध्य प्रदेश के भिंड में सरसों का हाजिर भाव 3,450, मुरैना में 3,775 और ग्वालियर में 3,650 रुपये और उत्तर प्रदेश की प्रमुख मंडियों में 3,450 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किए गए। राजस्थान में सरसों 3,600-3,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बिल रहा था।

कारोबारी शैलेंद्र ने बताया कि पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले सरसों में 50-100 रुपये की गिरावट आई है और यह गिरावट और बढऩे ही वाली है क्योंकि राजस्थान के अलावा अन्य जगहों पर सरसों की सरकारी खरीद नहीं हो रही है।

प्रदेश की सरकारी एजेंसी 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर सरसों खरीद रही है। राजस्थान के कारोबारी उत्तम ने बताया कि सरकारी खरीद से सरसों के भाव को थोड़ा सपोर्ट मिला था लेकिन इधर, उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी जितनी तेजी से आई थी उतनी ही गिरावट का दबाव बढ़ गया।
(आईएएनएस)

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