businesskhaskhabar.com

Business News

Home >> Business

कोरोना वायरस के चलते तेल-तिलहन में छायी मंदी, बढ़ेगी किसानों की परेशानी

Source : business.khaskhabar.com | Feb 14, 2020 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 oil oilseeds slowdown due to corona virus will increase farmers problems 429710नई दिल्ली। चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप गहराने से दुनियाभर के बाजारों में मंदी का माहौल है, जिससे कृषि उत्पाद बाजार भी प्रभावित हुआ है। पाम तेल के दाम में आई भारी गिरावट से भारत में तमाम तेल-तिलहनों में मंदी छा गई है, ऐसे में किसानों की परेशानी बढ़ेगी क्योंकि रबी सीजन की फसल की आवक जोर पकड़ने पर उनको सरसों व अन्य तिलहन फसलों का उचित दाम नहीं मिल पाएगा।

मालूम हो कि चीन पाम तेल का प्रमुख आयातक है, लेकिन कोरोना वायरस फैलने के बाद चीन में उसके आयात पर काफी असर पड़ा है जिसके कारण पाम के प्रमुख उत्पादक देश मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम तेल दाम में भारी गिरावट आई है।

पाम तेल दुनिया में सबसे सस्ता तेल में शुमार है, लिहाजा इसका भाव घटने से अन्य खाद्य तेलों में भी नरमी बनी हुई है।

भारत में पाम तेल के दाम में बीते एक महीने में करीब 10 रुपये प्रति किलो की गिरावट आई है। पाम तेल सस्ता होने से सरसों, सोयाबीन, मूंगफली समेत अन्य तेलों के दाम में भी नरमी का रुख बना हुआ है।

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर पाम तेल का भाव एक महीने में जहां 824.4 रुपये प्रति 10 किलो तक चला गया था वहां गुरुवार को घटकर 723.5 रुपये प्रति 10 किलो पर आ गया।

सॉल्वेंट एक्सट्रैर्क्‍स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी. वी मेहता ने आईएएनएस को बताया कि इस समय दुनियाभर में खाद्य तेल के कारोबार में सुस्ती का मुख्य कारण कोरोना वायरस का प्रकोप है जिसके कारण चीन के आयात पर प्रतिकूल असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि चीन खाने के तेल खासतौर से पाम तेल का एक बड़ा आयातक है, इसलिए चीन की खरीदारी प्रभावित होने से तेल-तिलहन बाजार में मंदी का माहौल है। (आईएएनएस)

देश के कुछ बाजारों में सरसों की अगैती फसल की आवक अभी शुरू ही हुई है लेकिन इसका दाम सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहा है। ऐसे में अगले महीने से जब सरसों की आवक जोर पकड़ेगी तब भाव और नीचे आ सकता है। ।
(आईएएनएस)
डॉ. बी. वी. मेहता ने कहा, "अगर यह स्थिति आगे भी बनी रहती है तो किसानों को रबी तिलहनों का वाजिब दाम दिलाने के लिए सरकार को एमएसपी पर खरीदारी की व्यवस्था करनी होगी।"

डॉ. मेहता ने कहा कि चिंता इस बात की है कि अगर किसानों को तिलहन फसलों का अच्छा भाव नहीं मिलेगा तो इसकी खेती में उनकी दिलचस्पी कम होगी जिससे खाद्य तेल के मामले में भारत के आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पाम तेल का दाम करीब 100 डॉलर प्रति टन टूट गया है। उन्होंने कहा कि दाम के लिहाज से मूंगफली सोया तेल और सूर्यमुखी तेल से महंगा है जबकि पाम तेल सबसे सस्ता है, इसलिए इसमें गिरावट का असर सभी तेलों व तिलहनों पर पड़ा है।

कृषि उत्पादों का देश में सबसे बड़ा वायदा बाजार नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव्स इंडेक्स (एनसीडीएक्स) पर सरसों के फरवरी महीने के वायदा भाव में बीते एक महीने में 400 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है। एनसीडीएक्स पर सरसों का भाव एक महीने पहले 13 जनवरी को 4,490 रुपये प्रतिक्विंटल था जोकि गुरुवार को घटकर 4,039 रुपये प्रतिक्विंटल पर आ गया।

सरकार ने चालू रबी सीजन के लिए सरसों का एमएसपी 4,425 रुपये प्रतिक्विंटल तय किया है।

[@ अखरोट है सेहत के लिए फायदेमंद]


[@ यहां "पवित्र" लडकियों को मिलती है स्कॉलरशिप]


[@ बुजुर्गो में बढ़ती जाती है ये इच्छा]