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चीनी रखने की अगले साल नहीं होगी पर्याप्त जगह : अधीर झा

Source : business.khaskhabar.com | July 20, 2018 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 next year will not be enough space for keeping sugar adhir jha 328023नई दिल्ली। इंडियन शुगर एग्जिम कॉरपोरेशन के सीईओ अधीर झा ने कहा कि लगातार दो सीजन में चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन होने से अगले साल मिलों के सामने चीनी रखने के लिए जगह की कमी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि चीनी का निर्यात होने से ही इस संकट से निजात मिल सकती है।

अधीर झा ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान बताया कि निर्यात के मोर्चे पर कोई खास प्रगति नहीं हो पाई है क्योंकि बरसात के कारण चीनी का निर्यात नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक महज डेढ़ से दो लाख टन चीनी का निर्यात चालू सत्र में हो पाया जबकि निर्यात के सौदे साढ़े तीन लाख टन के  आसपास हुए हैं।

देश की चीनी मिलों का शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने अगले सीजन 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का उत्पादन 350-355 लाख टन होने का अनुमान लगाया है, जबकि सालाना घरेलू खपत महज 255 लाख टन है। चालू सत्र में चीनी का उत्पादन 322.50 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल का बकाया स्टॉक 40 लाख टन था। इस प्रकार कुल आपूर्ति 362.50 लाख टन है।

सरकार ने एमआईईक्यू स्कीम के तहत चालू सत्र में 30 सितंबर तक 20 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा तय किया है। इस प्रकार अगर 20 लाख टन चीनी का निर्यात होता भी है तो कुल खपत 275 लाख टन होगी और अगले साल के लिए फिर भी तकरीबन 88 लाख टन चीनी बची रहेगी क्योंकि तमिलनाडु और कर्नाटक में सीजन के अंत में कुछ चीनी का उत्पादन होगा।

अधीर झा का कहना है कि चीनी का निर्यात अगर नहीं हो पाया तो अगले साल चीनी मिलों के पास चीनी रखने की पर्याप्त जगह नहीं होगी और उनके सामने नकदी संकट अलग बना रहेगा।

झा ने कहा कि सरकार ने चीनी का जो न्यूनतम बिक्री मूल्य 29 रुपये प्रति किलो तय की है उसमें अगर इजाफा किया जाता है तो नकदी की समस्या का कुछ समाधान जरूर होगा क्योंकि ऊंचे भाव पर घरेलू बाजार में चीनी बिकने से मिलों को नुकसान नहीं झेलना पड़ेगा।

इस्मा ने कहा कि मिलों के पास नकदी का प्रवाह बढ़ाने के लिए 60 से 70 लाख टन चीनी निर्यात करने के उपाय करने की जरूरत है।

केंद्र सरकार ने बुधवार को गन्ने का लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 10 फीसदी की रिकवरी रेट पर 20 रुपये बढ़ाकर 275 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया।

इस्मा ने इस पर कहा कि सरकार द्वारा अगले सीजन के लिए गन्ने के लाभकारी मूल्य में वृद्धि करने से मिलों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

सरकार के इस फैसले के बाद इस्मा ने एक बयान जारी कर कहा कि चालू सत्र में 9.5 फीसदी रिकवरी दर के आधार पर गन्ने का एफआरपी 255 रुपये प्रति क्विंटल होने पर भी मिलों के पास किसानों का बकाया जून के अंत में 18,000 करोड़ रुपये था। इस्मा ने कहा कि पहली बार गन्ने की कीमतों की बकाया राशि इतनी अधिक हो गई है जोकि अब तक की सबसे ज्यादा राशि है।
(आईएएनएस)

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