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मिल्क पाउडर आयात से किसानों को होगा नुकसान : डेयरी उद्योग

Source : business.khaskhabar.com | Jun 29, 2020 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 milk powder imports will harm farmers dairy industry 444448नई दिल्ली। कोराना काल में होटल, रेस्तरा, कैंटीन (होरेका) सेगमेंट में दूध और दूध से बने उत्पादों की मांग कम हो जाने के बाद घरेलू डेयरी उद्योग खपत के बाद बचा दूध (सरप्लस) मिल्क का उपयोग मिल्क पाउडर और बटर बनाने में करने लगा है लेकिन सरकार द्वारा टैरिफ रेट कोटा के तहत 10000 टन मिल्क पाउडर विदेशों से मंगाने के फैसले के बाद उनकी परेशानी बढ़ गई। डेयरी उद्योग इसे असमय लिया फैसला बताते हैं। डेयरी कारोबारी कहते हैं कि मिल्क पाउडर आयात से देश के किसानों को नुकसान होगा।

देश में डेयरी उत्पादों का प्रमुख ब्रांड 'अमूल' का विक्रेता गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक डॉ. आर. एस. सोढ़ी कहते हैं कि सस्ती ड्यूटी पर मिल्क पाउडर का आयात करने का फैसला असमय लिया गया फैसला है।

डॉ. सोढ़ी ने भारत के उत्पादन लागत से विदेशों के दुग्ध उत्पाद की लागत कम हैए इसलिए मिल्क पाउडर आयात का प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।

उन्होंने कहा, "मिठाई और आइस्क्रीम में दूध की खपत कम होने से हमारे पास दूध की खपत के मुकाबले 15 फीसदी आपूर्ति अधिक है। ज्यादा जो दूध आ रहा है उसका उपयोग मिल्क पाउडर और बटर बनाने में हो रहा है, जिसका बाजार पहले से ही सुस्त है इसके बावजूद सरकार ने सस्ती ड्यूटी पर मिल्क पाउडर आयात की अनुमति दे दी है।"

कोरोना काल में हलवाई की दुकानों, कैंटीन, होटल, रेस्तरा का कारोबार प्रभावित होने से दूध की खपत पर असर पड़ा है। निजी डेयरी कंपनी आनंदा डेयरी के चेयरमैन राधेश्याम दीक्षित ने कहा कि होटल, रेस्तरा, कैंटीन में दूध की मांग अभी भी महज 10.15 फीसदी है जबकि इस सेगमेंट में दूध की खपत करीब 25 फीसदी होती है।

उन्होंने कहा कि पहले से ही किसानों का दूध का उचित भाव नहीं मिल रहा है और अगर विदेशों से मिल्क पाउडर आएगा तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा 23 जून को जारी अधिसूचना के अनुसार, 15 फीसदी आयात शुल्क पर टैरिफ रेट कोटा के तहत 10000 टन मिल्क पाउडर का आयात करने की अनुमति दी गई है। अधिसूचना के अनुसार, पाउडर या अन्य किसी ठोस के रूप में दूध या क्रीम जिसमें वसा की मात्रा भार के हिसाब से 1.5 फीसदी से अधिक न हो या जिसमें मीठा करने वाला पदार्थ न हो।

कोरोनावायरस के प्रकोप पर लगाम लगाने के मकसद से 25 मार्च से जब देशभर में पूर्णबंदी कर दी गई थी तब होटल, रेस्तरा, कैंटीन बंद हो गए थे। हालांकि अब इनके खोलने की अनुमति है, फिर भी कोरोना के गहराते प्रकोप के कारण लोग होटल, रेस्तरा कम जा रहे हैं। वहीं, शिक्षण संस्थान बंद होने से वहां के कैंटीन अभी तक बंद हैं, जिससे देश में दूध की खपत इसकी आपूर्ति के मुकाबले कम हो रही है। (आईएएनएस)

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