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नीतिगत बदलाव से तेल, गैस क्षेत्र में बढ़ेगा निवेश : ICRA

Source : business.khaskhabar.com | July 21, 2018 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 investment will increase in oil gas sector by policy changes icra 328214नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने सरकार द्वारा तेल और गैस क्षेत्र में खोज को बढ़ावा देने और हाइड्रोकार्बन का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के मकसद से लिए गए हालिया फैसले की सराहना की है।

सरकार ने हाइड्रोकार्बन का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्पादन साझेदारी अनुबंध के संचालन को सरल बनाने के लिए नीतिगत संरचना को मंजूरी प्रदान की है।  

आईसीआरए ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि आर्थिक मामलों के मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा नीतियों में बदलाव को जो मंजूरी प्रदान की गई है, उससे तेल व गैस क्षेत्र में निवेश के प्रति सकारात्मक  रुझान पैदा होगा, क्योंकि इससे निर्णय की प्रक्रिया की बाधाएं कम होने की उम्मीद है। साथ ही, तेल क्षेत्र में निवेश की व्यावसायिक व्याहारिकता बढ़ जाएगी।

1999 से पहले मिलने वाले तेल क्षेत्र के ठेकों में वैधानिक शुल्क का पूरा बोझ सार्वनिक क्षेत्र की कंपनियों ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड को वहन करना पड़ता था।

आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और कॉरपोरेट सेक्टर रेटिंग्स के प्रमुख, के. रविचंद्रन ने कहा, ‘‘प्रस्तावित कदम सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि रायल्टी और उपकर जैसे शुल्कों में उनकी 100 फीसदी हिस्सेदारी होती है। उच्च शुल्क वाली परियोजनाओं का एनपीवी (शुद्ध वर्तमान मूल्य) नकारात्मक होने से पीएसयू तेल कंपनियों को आगे तेल व गैस की खोज के लिए पूंजीगत व्यय को मंजूरी प्रदान करने की प्रक्रिया में विलंब होता रहा है। लेकिन हालिया नीतिगत बदलाव से निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। वहीं, एनईएलपी (न्यु एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी) के पहले के ब्लॉक में निजी कंपनियों के वैधानिक शुल्क का बोझ बढ़ जाएगा।’’

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सीसीईए के फैसले के अनुसार, आयकर अधिनियम 1961 की धारा 42 का लाभ एनईएलपी के पहले के सभी ब्लॉक को मिलेगा।

आईसीआरए के उपाध्यक्ष, अनूप भाटिया ने कहा, ‘‘सीसीईए के इस फैसले से कुल मिलाकर निवेश के प्रति सकारात्मक रुझान बनेगा, क्योंकि इससे निर्णय की प्रक्रिया की बाधाएं समाप्त होने की उम्मीद है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एनईएलपी के पूर्व के कई ब्लॉक उत्पादन में स्वाभाविक रूप से कमी आई है या उत्पादन ठप हो गया है, जिसकी वजह विकास की योजनाओं और निवेश में वृद्धि के मामले में गतिरोध रही है।’’
(आईएएनएस)

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