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अमेरिका से भी महंगा इंडिया का बाजार!

Source : business.khaskhabar.com | Mar 26, 2014 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 indian realty market costly comparison to americaनई दिल्ली। भारत का रियलटी कारोबार उच्च ऋण;दर, उच्च मुद्रास्फीति और मंदी के बावजूद अमेरिका के रियलटी बाजार से 25 प्रतिशत से ज्यादा महंगा बना हुआ है। दोनों देशों के रियलटी बाजारों के एक तुलनात्मक अध्ययन में दावा किया गया है कि भारत के रियलटी कारोबार में जबरदस्त मंदी का दौर जारी है। जबकि अमेरिका के रियलटी बाजार में लगातार सुधार हो रहा है। इसके बावजूद भारत में व्यापार और वाणिज्य के महत्व की परिसंपत्तियों की कीमतें उच्च स्तर पर बनी हुई है।

हालांकि देश में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत दिल्ली, बेंगलूर,हैदराबाद और मुंबई के रियलटी बाजार में उतार का रूख है और बाजार में खरीदारी न्यूनतम स्तर पर है। अमेरिका में रियलटी से जुडी ऋण दर दो प्रतिशत से लेकर पांच प्रतिशत तक है जबकि भारत में यह आंकडा 10 प्रतिशत से लेकर 15 प्रतिशत तक है। भारत के प्रमुख शहरों के रियलटी बाजारों में औसत कीमत 17हजार 575 रूपए प्रति वर्ग फुट हैं जबकि इसी स्तर की परिसंपत्ति की कीमत का अमेरिकी शहरों में यह आंकडा 14 हजार 15 रूपए प्रति वर्ग फुट हैं। इस तरह से दोनों की देशों के रियलटी बाजारों में मूल्य के आधार पर अंतर तकरीबन 25.4 प्रतिशत बना हुआ है।

 वर्ष 2008 के आवास ऋण संकट के बाद मंदी के भंवर में फंसे अमेरिकी रियलटी के कारोबार में लगातार सुधार की प्रक्रिया बनी हुई है। दूसरी भारत में पिछले तीन साल से रियलटी कारोबार में उतार का दौर है। भारतीय अर्थव्यवस्था में पूंजी के संकट से अन्य उद्योगों के साथ साथ रियलटी के कारोबार को भी प्रभावित किया है। उच्च मुद्रास्फीति और भारतीय रिजर्व बैंक की सख्त मौद्रिक नीति के कारण तरलता संकट लंबे से चल रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में वर्ष 2013 में मुद्रास्फीति की दर 10.92 प्रतिशत के आंकडे को छू गई जबकि आर्थिक वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत पर सिमट गई।

 इसके उलट अमेरिका में मुद्रास्फीति की दर 1.6 प्रतिशत रही और बेरोजगारी का स्तर नीचा रहा और आर्थिक वृद्धि दर लगातार उपर की ओर अग्रसर रही। दोनों देशों में रियलटी बाजार भी प्रकृति भी अलग अलग रही है। अमेरिका में रियलटी में निवेश किराए के आधार पर किया जाता है और किराया वृद्धि के आधार पर परिसंपत्ति के दाम तय होते है जबकि भारत में निवेश परियोजना के आधार पर हो रहा है और सुविधाओं तथा संभावनाओं के आधार पर कीमतों में इजाफा हो रहा है।

अमेरिका का रियलटी कारोबार में स्थिरता, उच्च स्तर की तरलता, नाममात्र का नियमन और पर्याप्त पूंजी की स्थिति देखी जा रही है। देश के रियलटी कारोबार में आगे बढने की लगातार संभावनाएं बनी हुई है। वर्ष 2013 में देश में प्रमुख व्यापारिक और वाणिज्यिक परिसंपत्ति में 16 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जबकि गैर वाणिज्यिक या अर्ध वाणिज्यिक परिसंपत्ति की कीमतों में 32.23 प्रतिशत की तेजी आई। इसके बावजूद अमेरिका में रियलटी की कीमत वर्ष 2008 के संकट से पहले की कीमतों से बहुत कम है।