पारादीप रिफाइनरी में ग्रासरूट नीडल कोकर इकाई के लिए 1268 करोड़ रुपयों का निवेश करेगी इंडियन ऑयल
Source : business.khaskhabar.com | Sep 04, 2020 |
जयपुर । इंडियन ऑयल बोर्ड ने इंडियन
ऑयल आर एंड डी की इन-हाउस तकनीक का उपयोग करते हुए पारादीप रिफाइनरी में
ग्रासरूट नीडल कोकर यूनिट लगाने के लिए पहले स्तर की मंजूरी दे दी है।
प्रस्तावित इकाई में प्रतिवर्ष 56 किलो टन की कैलसाइंड नीडल कोक (सीएनसी)
उत्पादन क्षमता होगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 1268 करोड़ रुपये हैं।
सीएनसी के उत्पादन के साथइंडियन ऑयल पहली बार इस महत्वपूर्ण उत्पाद क्षेत्र
में प्रवेश करेगी।
इस्पात उद्योग की उच्च तापमान (2800 डिग्री
सेंटीग्रेड) वाली विद्युत आर्क भट्टियों में लगाने के लिए ग्रेफाइट
इलेक्ट्रोड का उत्पादन करने में सीएनसी का उपयोग किया जाता है।
इंडियन ऑयल के अध्यक्ष एस एम वैद्य ने कहा कि "यह नीडल कोकर इकाई इंडियन
ऑयल का पीओएल व्यवसाय में अनिश्चितता को समाप्त करने की दिशा में एक और
महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रस्तावित इकाई रिफाइनरी के सकल लाभ (ग्रॉस
मार्जिन) को बढ़ाएगी और इंडियन ऑयल के विशिष्ट उत्पाद क्षेत्रों में
स्वदेशी लाइसेंस प्राप्त तकनीक की आपूर्ति करने की क्षमता का भी प्रदर्शन
करेगी।" वर्तमान में देश की संपूर्ण नीडल कोक की आवश्यकता (80-100 किलो टन
प्रति वर्ष) आयात से पूरी की जाती है। पारादीप रिफाइनरी में नीडल कोक का
उत्पादन आयात निर्भरता को कम करेगा और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में
योगदान करेगा।
नीडल कोक प्राकृतिक ग्रेफाइट का एक विकल्प है
जो उच्च गुणवत्ता की स्थिरता प्रदान करता है। इस तकनीकी प्रगति के साथनीडल
कोक का उपयोग अब लिथियम-आयन बैटरियों के कार्बन एनोड बनाने के लिए भी किया
जाता है।
बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) से परिवहन
एक व्यवहारिक विकल्प के रूप में उभर रहा है। ऐसे में नीडल कोक (लिथियम-आयन
बैटरी के लिए एनोड) का उत्पादन भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा।
इस परियोजना को ऐसी ही अन्य भारतीय रिफाइनरियों में दोहराया भी जा सकता है।
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