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पितृपक्ष में कमजोर रहेगी सोने-चांदी की लिवाली, रुपये की मजबूती से कीमतों पर दबाव

Source : business.khaskhabar.com | Aug 31, 2020 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 gold and silver buying will remain weak in ancestral prices pressure due to strong rupee 450511नई दिल्ली। पितृपक्ष आरंभ होने के कारण घरेलू सर्राफा बाजार में सोने-चांदी की लिवाली में नरमी बनी रह सकती है जबकि देसी करेंसी रुपये में मजबूती से महंगी धातुओं के दाम पर दबाव रहेगा। कोरोना महामारी के चलते बने अनिश्चितता के माहौल में निवेश के सुरक्षित साधन के प्रति निवेशकों के बढ़ते रुझान के बीच इस महीने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पीली धातु ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ कीमतों में नया रिकॉर्ड बनाया।

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (आईएएनएस) पर सात अगस्त को सोने का भाव 56,191 रुपये प्रति 10 ग्राम तक उछला जोकि एक नया रिकॉर्ड है। चांदी की कीमत भी एमसीएक्स पर सात अगस्त को 77,949 रुपये प्रति किलो तक उछली जोकि एक रिकॉर्ड है। अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार कॉमेक्स सात अगस्त को सोने का भाव रिकॉर्ड 2,089.20 डॉलर प्रति औंस तक उछला।

हालांकि उसके बाद उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहा। बीते सप्ताह भी सोने और चांदी में उतार-चढ़ाव के बीच कारोबार हुआ।

एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने बताया कि अमेरिकी डॉलर में कमजोरी और कोरोना के प्रकोप से महंगी धातुओं को सपोर्ट मिल सकता है, लेकिन घरेलू सरार्फा बाजार में हाजिर लिवाली पितृपक्ष के कारण कमजोर रहेगी।

उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह देसी करेंसी रुपया डॉलर के मुकाबले काफी मजबूत हुआ है और घरेलू शेयर बाजार में भी तेजी का रुख देखने को मिला है जिससे सोने और चांदी की कीमतों पर दबाव रहेगा।

हालांकि सोना-चांदी का कारोबार विदेशी बाजार से चालित होता है, जहां डॉलर में कमजोरी रहने से महंगी धातुओं में तेजी का रुख बना रह सकता है। लेकिन कमोडिटी बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि सोने और चांदी में सीमित दायरे में कारोबार होगा। गुप्ता के अनुसार, घरेलू वायदा बाजार में सोने में 51,500-49,00 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच कारोबार हो सकता है जबकि चांदी का भाव 70,000-63,000 रुपये प्रति किलो के बीच रहेगा।

इंडिया बुलियन एंड ज्वलेर्स एसोसिएशन के नेशनल सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता ने भी कहा कि पितृपक्ष में सर्राफा बाजार में लिवाली कमजोर रहती है। मेहता ने आईएएनएस से कहा, "गहनों की हाजिर खरीदारी कोरोना महामारी के कारण पहले से ही काफी कमजोर है और पितृपक्ष शुरू होने के बाद जो ऑनलाइन खरीदारी होती थी उसमें भी नरमी आ जाएगी।"

मेहता ने आगे कहा, "पितृपक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है जो एक सितंबर से शुरू हो रहा है। पितृ पक्ष़्ा में लोगों पितरों को याद करते हैं और उनके लिए तर्पण, श्राद्ध व अन्य पुण्य के कर्म करते हैं। साथ ही, पितृपक्ष के दौरान कोई नई वस्तु नहीं खरीदते हैं। बाजार के जानकार बताते हैं कि कई लोग पितृपक्ष में कोई नया सौदा व करार भी नहीं करता है।" (आईएएनएस)

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