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लॉकहीड मार्टिन का बिक्री प्रस्ताव लुभावना प्रयास

Source : business.khaskhabar.com | Feb 25, 2019 | businesskhaskhabar.com Market News Rss Feeds
 attractive sales offer of lockheed martin 370792नई दिल्ली। लॉकहीड मार्टिन द्वारा भारत में एफ-21 से लेकर एफ-16 तक के नए अवतार के विनिर्माण की पेशकश किए जाने से देश में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने के कार्यक्रम की संभावना बन गई है लेकिन अमेरिकी विमान विनिर्मता के साथ संभावित समझौता लाइसेंस के मुद्दे को मानने की और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की इसकी प्रतिबद्धता पर निर्भर करेगा। वरिष्ठ अधिकारियों ने आईएएएनएस को बताया कि लॉकहीड मार्टिन का प्रस्ताव देखने में आकर्षक लगता है लेकिन यह अब तक बिक्री का लुभावना हथकंडा ही रहा है क्योंकि दोनों पक्षों के लिए इसके लाभकारी होने से पहले कई विवरणों की जांच करने की आवश्यकता है।

भारत के उन्नत मध्यम दर्जे के लड़ाकू विमान (एएमसीए) के लिए सबसे महत्वपूर्ण फायदा हो सकता है, जोकि भावी पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। परियोजना अब तक कागज पर ही है और लॉकहीड मार्टिन ने अपने एफ-35 और एफ-22 के अनुभव से प्रक्रिया की अजमाइश करके देख लिया है और पूरा सबक ले लिया है।

एक अधिकारी ने कहा कि अगर यह इस पूरी सबक का साझा नहीं भी करता है तो भी साझेदारी होने पर कंपनी भारत को लंबी अवधि के लिए कंपोनेंट सपोर्ट कर सकती है। भारत ने रूस के साथ मिलकर पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने का करार तोड़ लिया था क्योंकि उसमें प्रौद्योगिकी हस्तांरण के मामले में कोई फायदा नहीं था। वह परियोजना ज्वाइंट डेवलपमेंट की जगह ज्वाइंट प्रोडक्शन में बदल गई थी जिससे भारत को इसे तोडऩा पड़ा।

लॉकहीड मार्टिन की पहले से ही टाटा एडवांस्ड सिस्टम के साथ साझेदारी बढ़ रही है। भारतीय कंपनी सी-130 और चिनूक के लिए बॉडी बना रही है और भारतीय वायुसेना के लिए सी-295 टुब्रो प्रॉप्स व एफ-16 के विंग्स बनाएगी। भारत को तभी फायदा हो सकता है जब लॉकहीड मार्टिन अपनी प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करने और विमान बनाने के लिए इकोसिस्टम तैयार करने में मदद करने की प्रतिबद्धता जाहिर करेगा।

अगर एमसीए के लिए विमान परिचालन, रडार, सेंसर की प्रौद्योगिकी मिलती है तो यह परियोजना के लिए काफी मददगार साबित होगी। भारत में उत्पादन केंद्र स्थापित करने की पेशकश करनेवाली लॉकहीड मार्टिन ने एकमात्र कंपनी नहीं है, लेकिन वास्तविक आंकड़ों के मामले में इसको लाभ मिल रहा है।

दुनियाभर में करीब 4,000 एफ-16 विमान उड़ रहे हैं और अगर वे सभी उत्पादों के लिए भारत के उत्पादन केंद्र पर निर्भर करेंगे तो भारत की कंपनी लंबी अवधि तक टिकाऊ बनी रह सकती है। वहीं, इसकी तुलना में अभी सिर्फ 100 के करीब ग्रिपेन और 400 राफेल विमान कारोबार में हैं।

(IANS)

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