आचार्य के इस्तीफे से बाजार पर असर नहीं : एसबीआई रिपोर्ट
Source : business.khaskhabar.com | Jun 25, 2019 |
मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने सोमवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य का समय से पहले केंद्रीय बैंक से अलग होना हालांकि दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन इससे बाजार में घबराहट पैदा नहीं होगी।
एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष द्वारा लिखित बैंक की हालिया इकोरैप रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई के डिप्टी गवर्नर का बिदा होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘हालांकि यह अफवाह है, लेकिन दिसंबर 2018 में पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद बाजार को इसका अनुमान था।’’
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर के तौर पर तीन साल के कार्यकाल के लिए आचार्य की नियुक्ति 23 जनवरी, 2017 को हुई थी।
हालांकि उन्होंने अपरिहार्य व्यक्तिगत परिस्थितियों का हवाला देते हुए अपने कार्यकाल के पूरे होने के छह महीने पहले ही 23 जुलाई, 2019 को आरबीआई छोडऩे का फैसला किया है।
घोष ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में उससे पहले के वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले पूंजी प्रवाह बढक़र करीब दोगुना हो गया था।
उन्होंने बताया कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के केंद्रीय बैंक छोडऩे के बाद देश के विदेशी पूंजी भंडार में भी इजाफा हुआ और रुपये में मजबूती आई। साथ ही शेयर बाजार में एक साल के दौरान तेजी आई।
चाहे मौद्रिक नीति के प्रति उनका नजरिया हो या वित्तीय बाजारों से निपटने का दृष्टिकोण, इन मामलों में आरबीआई के सबसे कम उम्र के डिप्टी गवर्नर बने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बिल्कुल रूढि़वादी रहे हैं।
उन्होंने अक्टूबर 2018 में एक सार्वजनिक भाषण में सरकार के संबंध में आरबीआई की स्वतंत्रता को लेकर सवाल उठाया था।
आरबीआई में आचार्य के पास कॉरपोरेट रणनीति और बजट विभाग, वित्तीय स्थिरता इकाई, आर्थिक नीति व अनुसंधान विभाग, मौद्रिक नीति विभाग और पूर्वानुमान व मॉडलिंग इकाई व अन्य समेत कुल नौ विभाग थे।
आचार्य पिछली 15 मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का हिस्सा रहे हैं।
(आईएएनएस)
[@ इस महिला ने की बिल्लियों से शादी, क्यों ...]
[@ सास को दामाद से हुआ इश्क, शादी करती लेकिन...]
[@ कोमा से बाहर आते ही बोलने लगा दूसरे देश की भाषा]