चीनी उद्योग को प्रति कुंटल 700 रूपये घाटा
Source : business.khaskhabar.com | Dec 16, 2014 |
कोलकाता| चीनी उद्योग लागत मूल्य और उत्पादन में असंतुलन के कारण प्रति कुंटल 700 रुपये घाटे से जूझ रहा है। यह बात यहां सोमवार को उद्योग के एक जानकार ने कही। रिगा सुगर कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ओम प्रकाश धानुका ने कहा, "गóो का मूल्य सरकार नियमित करती है, जबकि चीन का मूल्य बाजार तय करता है।"
भारतीय चीनी मिल संगठन के पूर्व अध्यक्ष धानुका ने कहा कि चीनी व्यापार में देश के पांच करोड़ से अधिक लोग जुड़े हुए हैं, जबकि इसकी कीमत दुनिया में सबसे कम है।
सरकार द्वारा घोषित कीमत के आधार पर चीनी का लागत मूल्य प्रति कुंटल 3,500 रुपये होता है, जबकि चीनी का थोक मूल्य प्रति कुंटल 2,800 रुपये है। यानी, प्रति कुंटल 700 रुपये का नुकसान हो रहा है।
धानुका ने कहा, "अपनी स्थिति हमने कई बार सरकार से बताई है। लेकिन सिर्फ रंगराजन समिति की दो सिफारिशें ही लागू हो पाई हैं।"
देश में चीनी क्षेत्र को नियंत्रण मुक्त करने पर रंगराजन समिति ने अपनी रिपोर्ट 2012 के आखिर में जमा की थी।
धानुका ने कहा, "चीनी मूल्य को चीनी और सह-उत्पादों से जोड़ने की समिति की मुख्य सिफारिश को हालांकि लागू नहीं किया गया है, जो समस्या की जड़ है।"
उन्होंने कहा कि किसानों को 1,300 करोड़ रुपये बकाए का भुगतान करने को लेकर उद्योग आश्वस्त नहीं है, क्योंकि लागत मूल्य थोक मूल्य से काफी अधिक है।
यही नहीं गत दो साल में लागत मूल्य 20 फीसदी बढ़ चुका है।
चीनी उद्योग को पूरी तरह नियंत्रण मुक्त करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि देश से बाहर चीनी का भंडारण किया जाना चाहिए ताकि मुश्किल समय में उसका उपयोग किया जा सके।