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सुब्रत रॉय को नहीं मिली राहत, 25 तक जेल में ही रहना होगा

Source : business.khaskhabar.com | Mar 14, 2014 | businesskhaskhabar.com Market News Rss Feeds
 Subrata Roy petition to repealनई दिल्ली| सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय की उन्हें निजी बांड पर छोड़े जाने की याचिका निरस्त कर दी। राय ने अदालत में इस आशय की याचिका दाखिल की थी कि वह देश से बाहर नहीं जाने का एक निजी बांड भर सकते हैं और इस बांड पर उन्हें जेल से रिहा किया जाए। न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर की पीठ ने वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी से पूछा कि क्या निवेशकों के पैसे वापस करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास बकाया 19,000 करोड़ रुपये जमा करने का वह कोई प्रस्ताव लाए हैं?

सहारा की दो कंपनियों ने यह राशि निवेशकों से वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर के जरिए जुटाई थीं।

अदालत ने राय और दो अन्य निदेशकों को छोड़े जाने की याचिका भी खारिज कर दी और चार मार्च के अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई की तारीख 25 मार्च निर्धारित कर दी।

जेठमलानी ने जब कहा कि बकाया राशि के भुगतान के एक हिस्से के तौर पर राय 2,500 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए तैयार हैं, तो अदालत ने यह पेशकश ठुकरा दी।

सहारा समूह ने पहले भी इस प्रकार का प्रस्ताव रखा था और अदालत ने अस्वीकार्य बताते हुए उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

सुनवाई के दौरान राय की ओर से जेठमलानी ने अदालत से कहा, "जो भी प्रस्ताव हम बना पाए उसे हम तब बना पाए थे जब हम आजाद थे। जेल में बंद किए जाने के बाद स्थिति बदतर हो गई है। जो भी मदद करना चाहता है, वह बदले में कुछ चाहता है। मुझे किसी भी व्यक्ति तक जाने लायक होना चाहिए। मैं अपनी संपत्ति के साथ कोई प्रस्ताव पेश कर पाने की स्थिति में नहीं हूं।"

जेठमलानी ने कहा कि राय को छोड़ देने से वह अपने परिवार के साथ होली मना पाएंगे और वह अपनी बीमार मां की स्थिति की जानकारी भी ले पाएंगे।

जेठमलानी ने कहा कि राय को अदालत की अवमानना के मामले में गिरफ्तार किया गया है। यह जमानत योग्य मामला है और इसमें अधिकतम छह महीने की सजा हो सकती है।

सुनवाई की शुरुआत में न्यायमूर्ति राधाकृष्णन ने जेठमलानी से कहा कि उन्हें राय के इस तर्क में शर्मिदगी होने वाली कोई बात नहीं लगी कि अदालत का चार मार्च का आदेश अवैध था।

जेठमलानी ने बुधवार को अदालत से कहा था कि वह दोनों न्यायाधीशों से यह कहते हुए शर्म महसूस कर रहे हैं कि उनका आदेश सही नहीं था।

न्यायमूर्ति राधाकृष्णन ने कहा, "हमें ऐसा आदेश जारी करने के लिए इसलिए बाध्य होना पड़ा, क्योंकि सहारा से निवेशकों के पैसे सेबी के पास जमा कराने की अन्य सभी कोशिशें बेकार हो गई थीं।"