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सेंसेक्स, निफ्टी में डेढ फीसदी से अधिक गिरावट

Source : business.khaskhabar.com | Sep 27, 2014 | businesskhaskhabar.com Market News Rss Feeds
 Sensex, Nifty drop over one and a half percentमुंबई। देश के शेयर बाजारों में पिछले सप्ताह प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में डेढ़ फीसदी से अधिक गिरावट रही। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स पिछले सप्ताह 1.71 फीसदी या 464.1 अंकों की गिरावट के साथ शुक्रवार को 26,626.32 पर बंद हुआ। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 1.88 फीसदी या 152.6 अंकों की गिरावट के साथ 7,968.85 पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से पिछले सप्ताह नौ में तेजी रही।
आईटीसी (3.42 फीसदी), हिंदुस्तान यूनिलीवर (1.99 फीसदी), ओएनजीसी (1.78 फीसदी), महिंद्रा एंड महिंद्रा (1.33 फीसदी) और एचडीएफसी बैंक (1.31 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स में गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे भेल (9.52 फीसदी), टाटा स्टील (7.09 फीसदी), रिलायंस इंडस्ट्रीज (6.13 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (5.88 फीसदी) और भारतीय स्टेट बैंक (4.89 फीसदी)। गत सप्ताह मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में चार से छह फीसदी तक गिरावट रही। मिडकैप 4.50 फीसदी या 443.86 अंकों की गिरावट के साथ 9,421.40 पर बंद हुआ।
स्मॉलकैप 6.08 फीसदी या 680.19 अंकों की गिरावट के साथ 10,510.99 पर बंद हुआ। पिछले सप्ताह के प्रमुख घटनाक्रमों में बुधवार 24 सितंबर को सर्वोच्चा न्यायालय ने 218 में से 214 कोयला ब्लॉकों के लाइसेंस को रद्द कर दिया, जिसके आवंटन को न्यायालय ने पहले ही अपने एक फैसले में अवैध ठहराया था। 172 कोयला खदानों, जिनमें उत्पादन शुरू नहीं हुआ था, के लाइसेंसों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया। जिन 42 कोयला खदानों में उत्पादन शुरू हो चुका है या शुरू होने के लिए पूरी तरह से तैयार है, उनके लाइसेंस छह महीने बाद रद्द होंगे।
वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने शुक्रवार को भारत के साख परिदृश्य रेटिंग को नकारात्मक से ऊपर उठाकर स्थिर कर दिया। एसएंडपी ने कहा कि अगले 24 महीने के लिए स्थिर परिदृश्य का मतलब यह है कि एजेंसी यह मानती है कि देश की नई सरकार के पास जरूरी सुधार करने की चाहत और क्षमता है, जिससे विकास की खोई हुई दर वापस हासिल की जा सकती है। सरकार वित्तीय घाटा कम कर सकती है और भारतीय रिजर्व बैंक को प्रभावी मौद्रिक नीति अपनाने की आजाद दे सकती है।