"पर्ल्स ग्रूप को निवेशकों का 49,100 करोड लौटाने का आदेश"
Source : business.khaskhabar.com | Aug 23, 2014 |
नई दिल्ली। अवैध योजनाओं के जरिए निवेशकों से धन जमा करने के खिलाफ अब तक की सबसे बडी कार्रवाई करते हुए बाजार नियामक सेबी ने पीएसीएल लिमिटेड (पहले पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन) को तीन महीने के भीतर 49 हजार 100 करोड रूपए निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया है। सेबी ने कंपनी से तुरंत अवैध सामूहिक निवेश योजना (सीआईएस) को बंद करने को भी कहा है।
कंपनी को 15 दिनों के भीतर सेबी को यह भी बताना होगा कि पैसों की वापसी के लिए धन की व्यवस्था कहां से करेगी। सेबी के आदेश के बाद पीएसीएल ने बयान जारी कर कहा है कि वह इसे प्रतिभूति अपीलीय ट्राइब्यूनल (सैट) में चुनौती देगी। बयान में कहा गया कि दुर्भाग्य से सेबी इस बात पर ध्यान नहीं दे सका कि कंपनी ने कहा था कि उसे सीआईएस नहीं माना जाए। कंपनी ने कहा है, "पीएसीएल ने सेबी की बेंच के सामने कहा था कि वह सीआईएस नहीं चला रही है। कंपनी ने अपने रीयल एस्टेट कारोबार के लिए जो धन जुटाया है, उसके पास उचित मात्रा में परिसंपत्तियां हैं।"
सेबी ने यह भी कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय के एक दिशानिर्देश के अनुसार कंपनी तथा निदेशकों के खिलाफ धोखाधडी तथा व्यापार में अनुचित व्यवहार करने वह सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआइएस) के बारे में सेबी के नियमों के उल्लंघन के आरोप में आगे की कार्रवाई शुरू करने जा रहा है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस संबंध में 92 पृष्ठ का आदेश जारी किया है। इसके अनुसार कंपनी ने खुद स्वीकार किया है कि उसने 49,100 करोड रूपए जुटाए है और अगर पीएसीएल एक अप्रैल 2012 से 25 फरवरी 2013 के बीच जुटाए गए कोष का पूरा ब्योरा दे तो यह राशि और भी अधिक हो सकती है। जिन निवेशकों से यह राशि जुटाई गई, उनकी संख्या करीब 5.85 करोड है। इनमें वे ग्राहक भी शामिल है। जिन्हें जमीन आवंटित करने की बात कही गई थी और उन्हें अभी तक जमीन नहीं दी गयी। अवैध तरीके से धन जुटाने के मामलों में यह न केवल राशि के लिहाज से बल्कि निवेशकों की संख्या को लेकर भी सबसे बडा मामला है। अन्य के अलावा पीएसीएल तथा निर्मल सिंह भांगू समेत उसके शीर्ष कार्यकारियों के खिलाफ सीबीआई भी जांच कर रही है। साथ ही यह सेबी की जांच के घेरे में पुराने मामलों में से एक है। नियामक ने 16 साल पहले फरवरी 1998 में पीएसीएल को कहा था कि वह न तो कोई योजना शुरू कर सकती है और न ही अपनी मौजूदा योजनाओं के तहत कोष जुटा सकती है। कंपनी ने अपनी दलील में कहा कि वह कोई अवैध योजना नहीं चला रही है और जमीन की खरीद-बिक्री में शामिल है। सेबी ने अवैध तरीके से धन जुटाने की योजना चलाने को लेकर 1999 में पीएसीएल को नोटिस जारी किया था। बाद में मामला अदालतों में गया।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल फरवरी में आदेश जारी कर सेबी को यह पता लगाने को कहा कि क्या पीएसीएल का कारोबार सामूहिक निवेश योजना के दायरे में आता है या नहीं और कानून के मुताबिक कार्रवाई करने को कहा। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत सरण ने सेबी के विभिन्न नियमनों के उल्लंघन को लेकर पीएसीएल तथा उसके प्रवर्तकों तथा निदेशकों त्रिलोचन सिंह, सुखदेव सिंह, गुरमीत सिंह, सुब्रत भट्टाचार्य, निर्मल सिंह भांगू, टाइगर जोगिन्दर, गुरनाम सिंह, आनंद गुरवंत सिंह तथा उप्पल देविन्द्र कुमार के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई करने का आदेश दिया। साथ ही कंपनी को सभी सामूहिक निवेश योजना बंद करने तथा जमा धन रिटर्न के साथ तीन महीने के भीतर निवेशकों को वापस करने को कहा गया है। पेशकश के तहत निवेशकों को पैसा अभी लौटाया जाना है। साथ ही नियामक ने उनसे संपत्ति का पूरा ब्योरा देने और निवेशकों को पैसा लौटाने के लिए संपत्ति बेचे जाने के अलावा अन्य किसी भी मकसद से संपत्ति बेचने से मना किया है।