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डीएलएफ के पूंजी बाजार में कारोबार पर तीन साल की रोक

Source : business.khaskhabar.com | Oct 13, 2014 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 SEBI bans real estate major DLF for 3 years in stock marketsमुंबई। रॉबर्ट वाड्रा के साथ कारोबारी रिश्तों को लेकर अतिचर्चित रही है रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ लेकिन उस पर बाजार नियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी ने कडी कार्रवाई करते हुए उसके शेयर बाजार में कारोबार करने पर तीन साल की रोक लगा दी है। इसके साथ ही सेबी ने कंपनी के चेयरमैन केपी सिंह सहित 6 बडे अधिकारियों पर भी रोक लगा दी है। सेबी के इस फैसले से नामी-गरामी रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बडी मुश्किल का सामना करना पड सकता है क्योंकि अब कंपनी बाजार से पैसे एकत्र नहीं कर सकती है।

सेबी ने जिन कार्यकारियों पर रोक लगायी है, उनमें केपी सिंह के पुत्र राजीव सिंह (वाइस चेयरमैन) और पुत्री पिया सिंह (पूर्णकालिक निदेशक) भी शामिल हैं। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य राजीव अग्रवाल ने नियमक के 43 पृष्ठ के आदेश में कहा,मैंने पाया कि यह मामला सक्रिय तरीके से और जानबूझकर किसी सूचना को दबाने का मामला है, ताकि डीएलएफ के आईपीओ के समय शेयर जारी करने के दौरान निवेशकों को धोखा दिया जा सके और उन्हें गुमराह किया जा सके। आदेश में कहा गया है,इस मामले में जो उल्लंघन दिखे हैं वे गंभीर हैं और उनका प्रतिभूति बाजार की सुरक्षा व सच्चाई पर बड़ा प्रभाव पड़ा।

अग्रवाल ने कहा,मेरे विचार में इस मामले में जो गंभीर उल्लंघन हुए हैं, ऐसे में बाजार के प्रति निष्ठा की रक्षा के लिए प्रभावी कार्रवाई की जरूरत है। कंपनी और उसके शीर्ष कार्यकारियों को सूचनाओं को सार्वजनिक करने और निवेशक संरक्षण (डीआईपी) संबंधी सेबी के दिशानिर्देशों के अलावा व्यापार में धोखाधड़ी वाले और अनुचित व्यवहार रोधक (पीएफयूटीपी) नियमों के उल्लंघन का भी दोषी पाया गया है। जिन अन्य लोगों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें कंपनी के प्रबंध निदेशक टीसी गोयल, कामेश्वर स्वरूप और रमेश संका शामिल हैं।

आईपीओ दस्तावेज जमा कराने के समय केपी सिंह और उनके पुत्र-पुत्री सहित सभी उस समय शीर्ष प्रबंधन का हिस्सा थे। उस समय कंपनी के गैर कार्यकारी निदेशक रहे जीएस तलवार को सेबी ने संदेह का लाभ दिया है। सेबी ने कहा कि यह स्थापित नहीं हो पाया कि क्या तलवार कंपनी के रोजाना के परिचालन में शामिल थे।

सेबी ने डीएलएफ पर साल 2007 में आईपीओ जारी करते वक्त गलत जानकारी देने का दोषी पाया है। सेबी के इस फैसले के साथ ही शेयर बाजार में डीएलएफ के शेयर में 3.75 फीसदी की गिरावट देखी गई।