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ऑनलाइन बिक्री के लिए वारंटी की विश्वसनीयता

Source : business.khaskhabar.com | Dec 22, 2014 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 Reliability of warranty for sale onlineकोलकाता। देश में ऑनलाइन बिक्री बढ़ती जा रही है और मौजूदा कारोबारी साल में ई-कॉमर्स उद्योग 2016 अरब रूपये (3.5 अरब डॉलर) का हो जाने का अनुमान है, लेकिन ऑनलाइन बिक्री के साथ वारंटी की विश्वसनीयता पर हाल के दिनों में सवाल उठाए गए हैं।

शोध कंपनी पीडब्ल्यूसी के मुताबिक नवजात ई-कॉमर्स क्षेत्र की सालाना चक्रवृद्धि विकास दर 2009-13 के दौरान 55 फीसदी रही है और 2014 में भी इसकी विकास दर सराहनीय रही है। केंद्र में नई सरकार बनने के साथ निवेशकों का विश्वास बढ़ा है और ई-टेलर कंपनियों में पूंजी निवेश भी बढ़ा है। पीडब्ल्यूसी में भारतीय प्रौद्योगिकी खंड के अधिकारी संदीप लड्डा ने  कहा, ""ऑनलाइन माध्यमों में महंगी वस्तुओं की बिक्री भी बढ़ी है और ऑनलाइन बाजार का आकार तय करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।"" लेकिन यह बात ध्यान रखने की है कि भारत के ग्राहक कीमतों को लेकर काफी संजीदा होते हैं। ग्राहक सस्ते सामानों की खरीदारी करते वक्त वारंटी की अधिक चिंता नहीं करते हैं। लड्डा ने कहा, ""वास्तव में ग्राहकों का इतनी ही वारंटी की चिंता होती है कि यदि उन्हें दिए गए सामान टूटे-फूटे हुए हों या काम नहीं करते हो, तो उनकी वापसी होगी या नहीं।"" महंगे सामानों के मामलों में हालांकि ग्राहक वारंटी को लेकर अधिक संजीदा होते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां बार-बार ग्राहकों को आगाह करती रही हैं कि कुछ सामान ऑनलाइन खरीदे जाने पर उन पर वारंटी नहीं दी जाएगी। ऎसे कुछ सामानों पर हालांकि ऑनलाइन विक्रेता वारंटी दे रहे हैं। भारत में केपीएमजी के साझेदार और प्रबंधन परामर्श प्रमुख अंबरीश दासगुप्ता ने आईएएनएस से कहा, ""ग्राहकों को कीमत और वारंटी के मुद्दे की जानकारी होती है। जब वे ऑनलाइन सामान खरीदते हैं, तो उनसे कुछ भी छुपा हुआ नहीं होता है। ऎसे में यदि ग्राहकों को जानकारी नहीं है, तो यह उनकी समस्या है।"" देश में ऑनलाइन खरीदारी पर वारंटी को लेकर कई शिकायतें उठी हैं, हालांकि देश का कानून इन शिकायतों का पूरा निदान नहीं करता है।

ऑनलाइन माध्यमों पर वारंटी की घोषणा करना अनिवार्य नहीं है। अधिकतर ई-कॉमर्स वेबसाइट खरीदार और विक्रेता के बीच सिर्फ माध्यम की भूमिका निभाते हैं। जिसके कारण वैधानिकता की कुछ समस्या आती है। दासगुप्ता की हालांकि अलग राय है। उन्होंने कहा, ""देश में यह उद्योग धीरे-धीरे परिप` हो रहा है और प्रक्रियाजन्य समस्याएं भी आती जा रही हैं। मुझे नहीं लगता है कि ई-कॉमर्स के भ्रष्टाचार, कराधान तथा उपभोक्ता सुरक्षा संबंधी मामलों से निपटने में भारतीय कानून सक्षम नहीं है।"" आज की स्थिति के मुताबिक ई-कॉमर्स कारोबार को कई नियमों का पालन करना होता है। अनिवार्य वारंटी नीति हालांकि फिर भी मौजूद नहीं है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने हाल में लोकसभा में कहा, ""फिलहाल ई-कॉमर्स के लिए अलग नीति पर विचार नहीं किया जा राह है। विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) और धन की हेराफेरी रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय जरूरी जांच करता है।"" पीएमएलए के तहत ई-कॉमर्स से संबंधित भ्रष्टाचार की जांच की जा सकती है, लेकिन वारंटी नहीं दिए जाने की परंपरा को रोक पाना अब भी कानून की परिधि से बाहर है। परामर्श कंपनी गार्टनर के मुताबिक देश का ई-कॉमर्स बाजार 2015 में बढ़कर 371 अरब रूपये का हो जाएगा, जो 2014 के लिए अनुमानित 216 अरब रूपये के आकार से 70 फीसदी अधिक है। लेकिन इस क्षेत्र में अब आदिकालीन कानून कायम है।