businesskhaskhabar.com

Business News

Home >> Business

खाद्य सब्सिडी में सुधार से घटेगी महंगाई

Source : business.khaskhabar.com | Jan 29, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 Reforms in food subsidy to reduce inflationary pressuresचेन्नई। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर सर्विस का मानना है कि खाद्य सब्सिडी और वितरण में सुझाए गए सुधारवादी कदमों से भारत में महंगाई और वित्तीय घाटा कम होगा। केंद्र सरकार की एक समिति ने 21 जनवरी को खाद्य सब्सिडी और वितरण प्रणाली में सुधारवादी कदम उठाए जाने के सुझाव दिए थे। मूडीज क्रेडिट आउटलुक के ताजा अंक में मूडीज की सहयोगी विश्लेषक सॉवरेन रिस्क समूह ने कहा, हमें नीतियों में तुरंत सुधार की उम्मीद है, जिससे देश की खाद्य आपूर्ति श्रृंखला की क्षमता में सुधार होगा और महंगाई दर व सरकार के वित्तीय घाटे में कमी आएगी। इन सुधारवादी कदमों में अनाज खरीद का विकेंद्रीकरण शामिल है। इस प्रक्रिया में अधिक खाद्य अनाज का निपटारा, प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण के जरिये खाद्य और उर्वरक सब्सिडी की सुपुर्दगी और खाद्य सब्सिडी कम की जाती है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्य सब्सिडी का लाभ 67 प्रतिशत से घटा कर 40 प्रतिशत आबादी को दिया जाना है।

मूडीज के अनुसार खाद्य महंगाई की वजह से भारत की उपभोक्ता कीमत सूचकांक (सीपीआई) महंगाई दर पिछले पांच सालों में औसत नौ प्रतिशत रही है। मूडीज के मुताबिक अक्षमता और भ्रष्टाचार के जरिए अनाज के भंडारों के नुकसान से लागत बढी है और वितरण प्रणाली के सामाजिक-आर्थिक लाभ कम हुए हैं। एजेंसी के अनुसार व्यापक पारदर्शिता और क्षमता होने से मांग और आपूर्ति दोनों बढेगी, जिससे तेजी से कीमत सूचकों पर असर पडेगा।

इसके साथ ही उन कारणों को कम किया जा सकेगा, जो विश्व की तुलना में भारत में खाद्य कीमतों को बढाने के जिम्मेदार हैं। मार्च 2014 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में भारत का सामान्य सरकारी घाटा अनुपात सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 7.2 प्रतिशत रहा। मूडीज के मुताबिक पिछले आठ सालों में खाद्य सब्सिडीयों पर वार्षिक खर्च औसतन 20 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि इसी अवधि के दौरान कुल व्यय वृद्धि दर 16 प्रतिशत रही है। भारत में खाद्य सब्सिडी में कमी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा है। वित्त वर्ष 2014 में भारत की वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 1,509 डॉलर रही है। इसलिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में संशोधन और खाद्य सब्सिडी पाने की हकदार आबादी में कमी करने के लिए संसदीय मंजूरी मिलने में मुश्किल हो सकती है।