कंपनियों ने रोकी डीजल दर में 35 पैसे की संभावित कटौती
Source : business.khaskhabar.com | Sep 16, 2014 |
नई दिल्ली। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटने के मद्देनजर देश में डीजल इस समय पांच साल में पहली बार 35 पैसे घटाया जा सकता था पर तेल कंपनियों ने ऎसा नहीं किया क्योंकि इसे मूल्य नियंत्रण व्यवस्था से मुक्त करने का निर्णय सरकार ने अभी नहीं किया है।
सितंबर के पहले पखवाडे में डीजल का नियंत्रित खुदरा मूल्य और इसके आयात की लागत से मात्र 8 पैसे कम था पर कंपनियां अब 35 पैसे प्रति लीटर का मुनाफा कमा रही है। एक अधिकारी ने कहा स्वाभाविक है कि जब मुनाफा हो तो कीमत घटानी चाहिए लेकिन तेल कंपनियां इसे रोक रही हैं क्योंकि उन्हें सरकार के डीजल मूल्य के नियंत्रण मुक्त किए जाने से जुडे फैसले का इंतजार है।
अगर डीजल के दाम में कमी होती है तो यह पांच साल में पहली कमी होगी। डीजल की कीमत में गिरावट 29 जनवरी 2009 को की गई थी जब उन्होंने कीमत 2 रूपए प्रति लीटर घटाकर 30.86 रूपए किया गया था। उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत चढती गई। जनवरी 2013 से डीजल की कीमत हर महीने 50 पैसे बढाई जाती रही है ताकि खुदरा मूल्य और आयातित लागत के बीच के फासले को पाटा जा सके। अधिकारी ने कहा कि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान वियतनाम की आधिकारिक यात्रा पर हैं और उनके लौटने पर ईधन की कीमत को नियंत्रण मुक्त करने के संबंध में चर्चा की जाएगी।
डीजल के नियंत्रण मुक्त होने पर कंपनियों को लागत के अनुरूप कीमत में बदलाव करने का अधिकार होगा। पेट्रोल के मामले में जून 2010 से यह व्यवस्था लागू है। कंपनियों ने पेट्रोल की कीमत में भी बदलाव नहीं किया है जिसमें 54 पैसे की बढोतरी होनी थी क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत बढी है। अधिकारी ने कहा महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव होने हैं और ऎसे में हो सकता है कि कीमत बढाना लोकप्रिय फैसला नहीं हो।