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पूर्वोत्तर में रबर उत्पादन बढ़ाने का फैसला

Source : business.khaskhabar.com | Oct 31, 2014 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 North East may have exclusive rubber clones soonअगरतला। रबर बोर्ड ने देश में रबर की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पूर्वोत्तर के गैर पारंपरिक इलाकों में रबर उत्पाद का विस्तार करने का फैसला किया है। यह जानकारी एक अधिकारी ने गुरूवार को दी। रबर बोर्ड के अध्यक्ष ए. जयतिलक ने यहां संवाददाताओं से कहा, "केरल में रबर उत्पादन अधिकतम स्तर के आसपास पहुंच चुका है। रबर की बढ़ती मांग को पूरा करने और इसकी किल्लत दूर करने के लिए गैर पारंपरिक इलाकों में इसका उत्पादन करना जरूरी है।" उन्होंने कहा, "गैर पारंपरिक इलाका एक मात्र विकल्प है।" जयतिलक यहां त्रिपुरा में रबर उत्पादन के स्वर्ण जयंती समारोह में हिस्सा लेने आए थे।

उन्होंने कहा कि बोर्ड ने पूर्वोत्तर में 1,41,000 हेक्टेयर क्षेत्र में रबर की खेती करने का फैसला किया है। अभी पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, असम, मेघालय और नागालैंड में 1,03,500 हेक्टेयर क्षेत्र में रबर की खेती होती है और सालाना 46 हजार टन रबर का उत्पादन होता है। कोट्टयम के रबर रिसर्च इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया (आरआरआईआई) ने भी पूर्वोत्तर में 4,50,000 हेक्टेयर क्षेत्र की पहचान की है। देश में इस वक्त छह लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबर की खेती होती है और इससे सालाना करीब 7,50,000 टन उत्पादन होता है। बाद त्रिपुरा 72 हजार हेक्टर रबर उत्पादन क्षेत्र के साथ केरल के बाद रबर उत्पादन करने वाला दूसरा सबसे ब़डा राज्य है और सालाना 40 हजार टन का उत्पादन करता है। राज्य को इससे हर साल करीब 480 करो़ड रूपये की आय होती है।

जयतिलक ने बताया कि रबर का उत्पादन चाय, अनानास, केला तथा अन्य फसलों के साथ भी हो सकता है। उन्होंने कहा, ""बोर्ड उद्योगपति और निवेशकों को पूर्वोत्तर में रबर आधारित उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है।"" आरआरआईआई के निदेशक जेम्स जैकब ने कहा कि पूर्वोत्तर की मौसमी परिस्थिति रबर उत्पादन के लिए सर्वोत्तम है। जैकब ने यह भी कहा, ""रबर का उत्पादन और प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने के लिए आरआरआईआई ने रबर की एक किस्म का विकास किया है, जो पूर्वोत्तर के अनुकूल है।""