केजी बेसिन विवाद : ऑस्ट्रेलियाई मध्यस्थकार का नाम वापस
Source : business.khaskhabar.com | Apr 02, 2014 |
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और केंद्र सरकार के बीच कृष्णा गोदावरी बेसिन (केजी डी6) को लेकर जारी विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थकार के रूप मे नामित ऑस्ट्रेलियाई न्यायाधीश का नाम आज वापस ले लिया। न्यायमूति एसएस निज्जर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने ऑस्ट्रेलियाई न्यायाधीश जेम्स जैकब स्पीगलमैन का नाम उस वक्त वापस लेने का आदेश दिया, जब केंद्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने उसे अवगत कराया कि न्यायमूर्ति स्पीगलमैन रिलायंस इंडस्ट्रीज की ओर से सुझाए गए मध्यस्थकारों की सूची में शीर्ष पर हैं।
दवे ने दलील दी कि मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी की ओर से सुझाए गए नामों में से मध्यस्थकार का चयन करना मामले की निष्पक्षता की दृष्टि से उचित नहीं है। दवे की इस दलील का संज्ञान लेते हुए खंडपीठ ने न्यायमूर्ति स्पीगलमैन का नाम वापस ले लिया। न्यायालय ने इस मामले में अपनी त्रुटि स्वीकार करते हुए कहा कि हम यह आदेश वापस लेते हैं। हम कोई अन्य मध्यस्थकार नियुक्त करेंगे। इससे पहले गत सोमवार को शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति स्पीगलमैन को तीसरे और प्रमुख मध्यस्थकार के रूप में नियुक्त किया था। कृष्णा गोदावरी बेसिन में केजी डी-6 गैस क्षेत्र को विकसित करने पर हुआ खर्च तेल मंत्रालय को रिलायंस इंडस्ट्रीज को अदा करना है।
विवाद तब शुरू हुआ जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि रिलायंस ने गैस क्षेत्र के विकास के लिए सरकार से जो कीमत मांगी है, वह बढा-चढाकर बताई गई है। सीएजी ने कहा था कि रिलायंस को तब तक पैसा नहीं दिया जाना चाहिए, जबतक उसके वास्तविक लागत की जांच पूरी नहीं कर ली जाती। नवंबर 2011 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसपी रूचा को और जून 2012 में तेल मंत्रालय ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीएन खरे को मध्यस्थ के रूप में नामित किया था।
लेकिन दोनों के बीच सहमति न-न बन पाने के कारण तीसरे मध्यस्थ की जरूरत महसूस की गई। दोनों मध्यस्थ जब तीसरे मध्यस्थ के नाम पर भी सहमत नहीं हो सके, तो रिलायंस इंडस्ट्रीज ने उच्चतम न्यायालय से तीसरे मध्यस्थ की नियुक्ति की मांग की। केजी डी-6 गैस क्षेत्र में 60 प्रतिशत भागीदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज की है, जबकि ब्रिटिश कंपनी बीपी की भागीदारी 30 प्रतिशत और कनाडा की निको रिसोर्सेज की भागीदारी 10 प्रतिशत है। केंद्र सरकार ने विदेशी मध्यस्थ नियुक्त करने के फैसले का यह कहते हुए विरोध किया था कि मामला भारतीय न्यायिक क्षेत्र का है, इसलिए इसमें विदेशी मध्यस्थ की नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए।