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पूर्व अफ्रीकी देश भारत संग व्यापार बढ़ाने को उत्सुक

Source : business.khaskhabar.com | Dec 08, 2014 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 East African countries eager to increase trade with Indiaअदीस अबाबा। भारत की शुल्क मुक्त बाजार प्रवेश योजना का लाभ उठाने के बारे में जानकर पूर्व अफ्रीकी कंपनियां अपना व्यापार बढ़ा सकती हैं। यह योजना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र (आईटीसी) की एक परियोजना सपोर्टिग इंडियाज ट्रेड प्रीफरेंस फॉर अफ्रीका (एसआईटीए) द्वारा क्रियान्वित की जा रही है।

आईटीसी विश्व व्यापार संगठन और संयुक्त राष्ट्र की साझा एजेंसी है। इसका मकसद विकासशील देशों के कारोबार को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना, आर्थिक विकास में तेजी लाना और संयुक्त राष्ट्र के सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य को हासिल करना है। एसआईटीए की तीसरी बैठक अदीस अबाबा में 4-5 दिसंबर को हुई, जिसमें भाग लेने वालों ने एसआईटीए के प्रत्येक लाभार्थी सदस्य देश के लिए इस योजना के तहत व्यापार के रूझानों का विश्£ेषण किया।

इसमें योजना के अनुपालन से संबंधित प्रमुख मुद्दों का भी विश्£ेषण किया गया, जैसे स्रोत देश का नियम, भारतीय बाजार की निर्यात जरूरत, एसआईटीए साझेदार देशों से भारत को होने वाले निर्यात को प्रभावित करने वाले मुद्दे, कारखाने के दरवाजे से भारत में गंतव्य बाजार तक मूल्य शृंखला। एसआईटीए के समन्वयक गोविंद वेणुप्रसाद ने कहा, "उत्पादन क्षमता बढ़ाने, बाजार लिंकेज तैयार करने और चुने हुए क्षेत्रों में निवेश का आकर्षण बढ़ाने से एसआईएटीए का प्रभाव बढ़ेगा और दक्षिण-दक्षिण व्यापार और निवेश परियोजना के लिए एक टिकाऊ आदर्श तैयार होगा।" इससे इन क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियां भी दूसरे बाजारों में निर्यात करने में सक्षम बनेंगी। भारत की शुल्क मुक्त व्यापार प्राथमिकता (डीएफटीपी) योजना में दो साल पहले किए गए संशोधन के बाद न्यूनतम विकसित देशों (एलडीसी) को 98 फीसदी भारतीय सामानों में प्राथमिकता आधार पर शुल्क मुक्त प्रवेश की सुविधा हासिल होगी।


इसका मतलब है कि एलडीसी से निर्यात किए जाने वाले सामान जब भारत में प्रवेश करेंगे, तो उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता अधिक होगी। बैठक में कारोबारी, सरकारी और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों ने पांच पूर्वी अफ्रीकी देशों में से प्रत्येक के चुने हुए क्षेत्रों में विशेष गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए एसआईटीए के लिए कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने की कोशिश की। क्षेत्रों का चुनाव राष्ट्रीय और क्षेत्रीय व्यापार विकास लक्ष्यों के अनुरूप किया गया और उसमें अंतर्राष्ट्रीय बाजार की मांग और अफ्रीका की आपूर्ति क्षमता को दिखाया गया। तंजानिया चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्री एंड एग्रीकल्चर में उद्योग विकास निदेशक एडम जुकु ने कहा, "भारत से यदि और निवेश हो तो निश्चित रूप से तंजानिया योजना का अधिकाधिक उपयोग कर पाएगा।" यूगांडन नेशनल चैंबर ऑफ कॉमस्त्र एंड इंडस्ट्री (यूएनसीसीआई) के संचार प्रमुख मार्टिन ओकुमु ने कहा, "हम भारत को निर्यात करते रहे हैं, हालांकि इसका आकार काफी कम रहा है, लेकिन हमें विश्वास है कि एसआईटीए के तहत हम अधिक जागरूकता बढ़ा पाएंगे, अधिक साझेदार बना पाएंगे और यूगांडा के कारोबारी समुदाय और भारतीय कारोबारियों का नेटवर्क बना पाएंगे और इस तरह से संबंध प्रगाढ़ कर पाएंगे साथ ही साझा उपक्रम, निवेश जैसे फैसले भी कर सकते हैं।"

नौ मार्च, 2014 को ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (डीएफआईडी) और आईटीसी के बीच एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद एसआईटीए परियोजना शुरू की गई थी। इस परियोजना के जरिए पूर्वी अफ्रीकी देशों-इथियोपिया, केन्या, रवांडा, उगांडा और तंजानिया-में निर्यात बढ़ाने में आ रही दिक्कतों को दूर करने की कोशिश की जा रही है। 2014-20 के लिए एसआईटीए का लक्ष्य पूर्वी अफ्रीकी कंपनियों के उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता और गुणवत्ता बढ़ाना है, ताकि वे अंतर्राष्ट्रीय बाजार की जरूरतों के अनुरूप हों। इसमें भारतीय कंपनियां कपास, कॉफी, दलहन और बीन, तिलहन और सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी, कौशल और जानकारी की साझेदारी कर योगदान करेंगी।