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भारतीय स्मार्टफोन बाजार में सैमसंग, फ्रीडम की रही सर्वाधिक चर्चा

Source : business.khaskhabar.com | Dec 22, 2016 | businesskhaskhabar.com Gadget News Rss Feeds
 samsungfreedom failure made the headlines 144563नई दिल्ली। प्रौद्योगिकी खासकर दूरसंचार के क्षेत्र में वर्ष 2016 ने उपभोक्ताओं को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आभासी वास्तविकता (वीआर) और संवर्धित वास्तविकता (एआर) जैसे नवाचारों से रू-ब-रू करवाया।

इस दौरान अधिकांश स्मार्टफोन निर्माताओं ने इन नवाचारों के बल पर कारोबार में नई ऊंचाइयों को छुआ वहीं कुछ कंपनियों के महत्वाकांक्षी उत्पादों की असफलता के कारण उनकी छवि को नुकसान भी हुआ।

स्मार्टफोन बाजार में सबसे बड़ी असफलता सैमसंग की गैलेक्सी नोट-7 स्मार्टफोन के हिस्से आई, वहीं कई गंभीर दुर्घटनाओं के कारण चालकरहित कारों का भविष्य कई वर्ष और आगे चला गया।

लेकिन भारतीय मोबाइल बाजार में वर्ष का सबसे चर्चित उत्पाद नोएडा की कंपनी रिंगिंग बेल द्वारा 251 रुपये से कम राशि में पेश किया गया फ्रीडम--251 रहा। हालांकि इतनी कम राशि के बावजूद यह फोन भी बाजार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में असफल ही रहा।

सैमसंग में अगस्त में अपना फ्लैगशिप फोन गैलेक्सी नोट-7 बाजार में उतारा, जिसकी एप्पल के फ्लैगशिप फोन आईफोन-7 और गूगल के फ्लैगशिप फोन पिक्सल से सीधी टक्कर मानी जा रही थी। लेकिन कुछ ही दिन बाद फोन की बैट्री फटने की खबरें आने लगीं और चार्ज करने के दौरान फोन के आग पकडऩे की दुर्घटनाएं घटने के बाद दक्षिण कोरिया की इस शीर्ष कंपनी को बिक चुके 25 लाख स्मार्टफोन पूरी दुनिया के बाजारों से वापस लेने पड़े।

सैमसंग ने नोट-7 फोन के मौजूदा ग्राहकों को पुराना फोन बदलकर नया फोन देने की पेशकश दी, लेकिन बदलकर दिए गए नए स्मार्टफोन में भी आग लगने की घटनाएं सामने आने लगीं, जिसके चलते कंपनी को अंतत: अक्टूबर में अपने इस महत्वाकांक्षी फोन का उत्पादन रोकना पड़ा।

सैमसंग ने आखिरकार नोट-7 का उत्पादन पूरी तरह बंद कर दिया, क्योंकि कंपनी के अनुमान के मुताबिक, इस फोन के कारण कंपनी को चौथी तिमाही में दो अरब डॉलर का नुकसान होता और 2017 की पहल तिमाही में यह नुकसान 88 करोड़ डॉलर रहने का अनुमान था।

वर्ष की दूसरी सबसे बड़ी असफलता भारतीय कंपनी के हिस्से आई। फरवरी में रिंगिंस बेल्स प्राइवेट लिमिटेड ने जैसे ही फ्रीडम-251 लाने की घोषणा की, यह फोन पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गया।

तमाम विवादों के बाद जुलाई में कंपनी ने 5000 फोन बेचने की घोषणा की और कहा कि आने वाले समय में कंपनी पहले से पंजीकृत 65,000 ग्राहकों को भी फोन वितरित करेगी।

लेकिन जल्द ही कंपनी की सारी घोषणाएं धूमिल होती गईं और विशेषज्ञों ने इसे ‘डिजिटल उद्योग का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा करार दिया’।

एक मार्केट रिसर्च कंपनी साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) के प्रधान विश्लेषक फैजल कावूसा ने आईएएनएस को बताया, ‘‘कोई भी शिक्षित व्यक्ति या प्रौद्योगिकी की समझ रखने वाला व्यक्ति इस पर संदेह करेगा। इसे डिजिटल दुनिया के सबसे बड़े फर्जीवाड़े के रूप में देखा जा सकता है।’’

यहां तक कि दिसंबर में खबरें आ गईं कि रिंगिंग बेल्स ने अपने स्टोर बंद कर दिए हैं। कंपनी ने इससे इनकार किया, लेकिन अभी भी बाजार में इस सस्ते फोन का इंतजार ही है।

दिल्ली की ही एक कंपनी काउंटरप्वाइंट रिसर्च में सहायक अनुसंधानकर्ता पर्व शर्मा के अनुसार, फ्रीडम-251 ने लोगों में सस्ता फोन खरीदने की झूठी उम्मीदें जगाईं।

डिजिटल दुनिया की अगले सबसे बड़ी घोषणा चालकरहित या स्वचालित कार के लांच की रही और इसमें गूगल, टेस्ला, वोल्वो, उबर, लाईको और एप्पल जैसी कंपनियां भी हाथ आजमाने से नहीं चूकीं। अमेरिकी रिसर्च कंपनी ग्रैंड व्यू रिसर्च के मुताबिक, 2024 तक डिजिटल कार का वैश्विक बाजार 138,089 कार प्रति वर्ष का हो जाएगा।

लेकिन मई में इस महात्वाकांक्षी  योजना को तब बड़ा झटका लगा जब टेस्ला मॉडल एस की एक कार स्वचालित मोड में चलते हुए एक ट्रैक्टर ट्रेलर से जा भिड़ी और उसमें सवार जोशुआ ब्राउन की मौत हो गई।

टेस्ला ने घटना के बाद अपने बयान में कहा कि कार ट्रैक्टर ट्रेलर को ट्रेस नहीं कर पाई और कार की ब्रेक ने भी काम नहीं किया, जबकि आकाश पूरी तरह साफ था।

स्वचालित कार की सबसे भीषण दुर्घटना सितंबर में हुई, जब गूगल की एक चालकरहित कार रेड लाइट को पार कर रही एक वाणिज्यिक वाहन से टकरा गई।

मिशिगन विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, 40 फीसदी भारतीय नागरिकों और 36 फीसदी अमेरिकी नागरिकों का मानना है कि चालक रहित या स्वचालित कार में सवारी करते हुए उन्हें डर लगेगा।

डिजिटल कारों के भविष्य को लेकर जो एकमात्र अच्छी खबर रही, वह 18 पहियों वाली वोल्वो की स्वचालित ट्रेलर के फोर्ट कोलिंस से कोलोरेडो होते हुए सफलतापूर्वक कोलोरैडो स्प्रिंग्स तक बडवाइजर बीयर के 50,000 कैन पहुंचाने की रही। यह एक प्रायोगिक सफर था जो सफल भी रहा।

इस सफल प्रयोग ने जरूर चालकरहित स्वचालित कारों के भविष्य को लेकर एक उम्मीद जगाया है।(आईएएनएस)