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चने के उत्पादन में कमी के अनुमानों से कीमतों में तेजी

Source : business.khaskhabar.com | Feb 17, 2018 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 prices rise due to lack of production of gram 295069नई दिल्ली। बीते दिनों देश के प्रमुख चना उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश में हुई बारिश और ओलावृष्टि से चने की फसल को हुए नुकसान के कारण उत्पादन की कमी की संभावना जताई जा रही है। उत्पादन में कमी की संभावनाओं के बीच शुक्रवार को घरेलू वायदा बाजार नेशनल कमोडिटी एक्सचेंज पर चने के भाव में जोरदार तेजी देखी गई। वहीं, देशभर की मंडियों में भी चना ऊंचे भाव पर बिका।

भारत में दलहन व अनाज कारोबार व उद्योग का शीर्ष संगठन, इंडियन पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) की ओर से दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय ‘पल्सेस कानक्लेव-2018’ के समापन के बाद देशभर के कारोबारियों से मिली रपट के आधार पर जिंदल ओवसरसीज कॉरपोरेशन और आईपीजीए एग्जिक्यूटिव कमेटी के सदस्य प्रदीप जिंदल ने आईएएनएस को बताया, ‘‘हमारा अनुमान है कि इस साल देश में चने का उत्पादन 78 लाख टन हो सकता है।’’ उन्होंने बताया कि इसमें 10 लाख टन काबुली चना का उत्पादन भी शामिल है।

मौजूदा फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) में प्रमुख रबी दलहन फसल चने के रकबे में काफी बढ़ोतरी हुई है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, देश में चने का औसत रकबा 86.81 लाख हेक्टेयर रहता है, जबकि इस साल नौ फरवरी 2018 तक देशभर में चने का रकबा बढक़र 107.63 हेेक्टेयर हो गया है, जोकि पिछले साल के 99.54 लाख हेक्टेयर से 8.13 फीसदी ज्यादा है। चने के रकबे में बढ़ोतरी के कारण रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन फसल खराब होने से उत्पादन में कमी का अनुमान है।

हालांकि, दिल्ली के लारेंस रोड मंडी के चना कारोबारी पवन गुप्ता का कहना है कि चने की फसल हर जगह पक चुकी है। ऐसे में बारिश से फसल की क्वालिटी पर जरूर फर्क पड़ेगा, लेकिन उत्पादन में बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।

पिछले साल देशभर में चने का उत्पादन अनुमान 93.3 लाख टन था (चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक), जबकि इस साल के लिए सरकार ने 97.5 लाख टन का लक्ष्य रखा है। अब तक का रिकॉर्ड चना उत्पादन का आंकड़ा 2013-14 का है, जब देश में रबी सीजन में मौसम अनुकूल होने के कारण 95.3 लाख टन चने का उत्पादन हुआ था।

कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में चने की नई फसल की आवक पहले ही शुरू हो चुकी है और अब राजस्थान की मंडियों में भी जल्द ही आवक शुरू हो जाएगी।

महाराष्ट्र के विदर्भ व मराठवाड़ा इलाके में पिछले दिनों भारी ओलावृष्टि से चना समेत तमाम रबी फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। जालना के चना कारोबरी नवल किशोर दौलतराम झावर ने बताया कि खेतों में खड़ी चने की पकी फसल और खलिहानों में रखी फसल को काफी नुकसान हुआ है, जबकि अधपकी फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।

भोपाल के कारोबारी मनोहरलाल खंडेलवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश में इस साल चने की फसल जोरदार है, लेकिन पानी के अभाव में उत्पादकता थोड़ी कम रह सकती है। उन्होंने बताया कि बारिश से कोई खास नुकसान की रिपोर्ट अब तक किसानों की तरफ से नहीं मिली है। इसलिए चने के भाव में ज्यादा उठाव की संभावना कम है।

लेकिन पवन गुप्ता का कहना है कि चना इस समय निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है और आगे तेजी की सूरत में 6000 रुपये प्रति कुंटल तक का उठाव देखा जा सकता है।

दिल्ली में पुराना चना शुक्रवार को 4150 रुपये प्रति कुंटल बिका, जबकि इंदौर में 3750 रुपये प्रति कुंटल। डॉलर चना या काबुली चना तेज रहा। इंदौर में इसका भाव 7000-75,00 रुपये प्रति कुंटल दर्ज किया गया।

एनसीडीईएक्स पर चने का मार्च वायदा 1.82 फीसदी की बढ़त के साथ 3853 रुपये प्रति कुंटल पर बंद हुआ, जबकि बेंचमार्क सौदा 3780 पर खुलने के बाद कारोबार के दौरान 3864 तक उछला। अप्रैल वायदे में 2.15 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।

मालूम हो कि फसल वर्ष 2017-18 में उत्पादित रबी फसलों के लिए सरकार ने जो एमएसपी तय की है, उसके अनुसार चना का एमएसपी 4400 रुपये प्रति कुंटल है, जिसमें 150 रुपये बोनस भी शामिल है।


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